About Shodashi

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Group feasts Engage in an important job in these situations, where by devotees appear collectively to share foods that often involve regular dishes. This kind of foods celebrate both the spiritual and cultural aspects of the Pageant, boosting communal harmony.

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।

Upon strolling in the direction of her historic sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her ability will increase in depth. Her templed is entered by descending down a dark narrow staircase which has a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are numerous uneven and irregular steps. The subterranean vault is incredibly hot and humid and but You will find there's sensation of basic safety Shodashi and and security within the dim mild.

The Saptamatrika worship is particularly emphasised for the people looking for powers of Manage and rule, together with for those aspiring to spiritual liberation.

Remember to explain to me this kind of yoga which can give salvation and paradise (Shodashi Mahavidya). You will be the only real theologian who may give me the complete understanding On this regard.

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते

She is depicted for a sixteen-yr-old Woman that has a dusky, pink, or gold complexion and a third eye on her forehead. She is without doubt one of the ten Mahavidyas and it is revered for her attractiveness and electrical power.

लक्ष्मी-वाग-गजादिभिः कर-लसत्-पाशासि-घण्टादिभिः

संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

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